SINGRAULI NEWS : शहर के जर्जर मकानों को तोड़ने के लिए नहीं हुई कोई कार्रवाई, जिमेदारों को हादसों का इंतजार
SINGRAULI NEWS : : मौत के साए में जिंदगी! कहीं जान न ले लें शहर के जर्जर भवन

सिंगरौली. ऊर्जाधानी में बारिश का दौर जारी है। इस बार मौसम विभाग (meteorological department) ने भी अच्छी बारिश के संकेत दिए हैं। ऐसा होना जलसंकट से तो निजात दिलाएगा, लेकिन शहर के बाजारों से लेकर गली-मोहल्लों में आमजनों की आवाजाही वाले व्यस्ततम स्थानों पर पुराने और जर्जर मकान हादसों की वजह न बन जाए। दरअसल, ये भवन और मकान सालों पुराने होने से जर्जर हो चुके हैं। समय पर प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए तो तेज बारिश और आंधी में ऐसे जर्जर भवन और कच्चे मकान, उनकी दीवारें या कोई जर्जर हिस्सा ढह सकता है।
कई वर्षों पहले बने ये मकान अब ढहने की कगार पर हैं। जो कभी भी ढह कर न जाने कितनी ही मौतों का कारण बन सकते हैं। जर्जर मकानों, दुकानों और भवनों को लेकर नगर निगम प्रशासन ने इन्हें चिह्नित तक नहीं किया है, जबकि निगम को कुछ जर्जर मकानों की शिकायतें भी मिली हैं। शहर में गनियारी, विंध्यनगर, नवानगर, माजनमोड़, बिलौंजी, देवरा और मुय बाजार सहित कई क्षेत्र में जर्जर मकान देखने को मिल सकते हैं। जो नाम मात्र के सहारे पर खड़े होकर मूसलाधार बारिश का इंतजार कर रहे हैं। नगर निगम हर साल जर्जर भवनों की सूची बनाता है, लेकिन सूची में शामिल अधिकांश मकान सालों बाद भी नहीं गिराए जाते। शायद ननि को हादसों का इंतजार रहता है।
बारिश बन सकती है हादसे की वजह
जानकारों का मानना है कि जर्जर भवनों की दीवारों में पानी भरने से उनमें और दरारें पड़ेंगी। जिससे उनका ढहना लगभग तय है। अगर ऐसी कोई घटना बाजार, सड़क या स्कूल के पास होती है तो उसकी त्रासदी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। प्रशासन के पास यह अंतिम मौका है कि वह इस दिशा में निर्णायक कार्रवाई करे, वरना नतीजा बेहद दुखद हो सकता है।
कागजों पर कार्रवाई, हकीकत में कहीं कुछ नहीं हुआ
नगर निगम ने बीते वर्ष शहर में कुछ जर्जर भवनों को चिह्नित किया था। इनमें कुछ पीडब्ल्यूडी के थे, जिनकी जिमेदारी संबंधित विभाग पर छोड़ी गई थी। बाकी निजी और शासकीय भवनों की सूची तैयार कर निगम ने राजस्व विभाग को भेज दी, लेकिन साल बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इससे साफ है कि या तो जिमेदार विभागों के बीच समन्वय की कमी है या फिर गंभीरता का अभाव।
कुछ विवादों में भी उलझे
शहर के कई जर्जर भवन ऐसे हैं जो मकान मालिक और किरायेदारों के विवाद में उलझे हैं। इन जर्जर भवनों को मकान मालिक तो गिराना चाहते हैं, लेकिन वर्षों से जमे किराएदार न तो इन्हें गिराने देते और न ही इनकी मरमत करने देते हैं। ये भवन जर्जर अवस्था में ही खड़े होकर हादसों को न्योता दे रहे हैं।
समय पर पहल हो तो टाला जा सकता है खतरा
शहर में कई पुराने जर्जर मकान मौजूद हैं जो धराशायी हो सकते है। बारिश में यह खतरा ज्यादा बढ़ जाता बै। अगर नगर निगम इन्हें समय पर तोड़ने की पहल करे तो संभावित हादसों को टाला जा सकता है, मगर अभी तक ऐसी कोई कवायद शुरू नहीं की गई है।
जर्जर भवनों को चिह्नित करने का काम जारी है। प्रतिवेदन मिलने के बाद नोटिस जारी कर खतरनाक स्थिति के मकानों को गिराने की कार्रवाई की जाएगी। कुछ मकान-दुकान, मकान मालिक और दुकानदार के विवादों में हैं। इससे कार्रवाई नहीं हो रही है।
डीके शर्मा, आयुक्त ननि सिंगरौली
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